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Birthday Kirron Kher: मुझे तो 'हाउस वाइफ' रहना शुरू से ही पसंद है

खैर यहाँ जो जिक्र है वह आज के बड़े ऊँचे प्रतिष्ठा प्राप्त चरित्र अभिनेता अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर का जिक्र है जो कई प्रारंभिक टी. वी. सीरियल्स में दिखायी देने के बाद अचानक लुप्त हो गई थी। उन्होंने अपने पति के उभरते कैरियर...

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Kirron Kher said I have always loved being a housewife
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किसी बड़े फिल्म अदाकार की छाया में उनकी छोटी मोटी अदाकारा पत्नियों को न जाने क्यों नजर अन्दाज कर देते हैं लोग जबकि कला के दायरे में मान्यता है कि अदाकारी में कोई कलाकार छोटा बड़ा नहीं होता।

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नसीरूद्दीन शाह (रत्ना पाठक) पंकज कपूर (सुप्रिया) अजीत वाच्छानी, मोहन गोखले सरीखे न जाने कितने ही अदाकारों की पत्नियाँ भी अभिनय क्षेत्र में समान रूप से सहपाठी हैं और उनका अपने तरीके से हस्तक्षेप है मगर इस पत्नी वर्ग की दिनचर्चाओं की खबर कभी नहीं छपती। क्यों?

खैर यहाँ जो जिक्र है वह आज के बड़े ऊँचे प्रतिष्ठा प्राप्त चरित्र अभिनेता अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर का जिक्र है जो कई प्रारंभिक टी. वी. सीरियल्स में दिखायी देने के बाद अचानक लुप्त हो गई थी। उन्होंने अपने पति के उभरते कैरियर को दूर से देखना पसंद किया था। आज अनुपम खेर की ये अभिनेत्री पत्नी फिर से सीरियल्स और रंगमंच के क्षेत्र में सक्रिय दिखायी देने लगी हैं। हमने सोचा उनसे मुलाकात अपने में एक रोचक बात होगी। पाठकों के लिए तो हम उनसे मिलने उनके घर गये । निर्धारित समय पर हम वहाँ पहुँचे तो उन्होंने हमारी वाजिब सी आवभगत की और कहाः ‘स्टार्स’ की तुलना में उनकी घरेलू पत्नियों के पास कहने सुनने को बहुत कम होता है और फिर हो भी तो उनकी बातों को पढ़ने वाले क्यों उतना महत्त्व देने लगे?’ 

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बात तो ठीक थी। मगर किरण खेर ने ऐसा क्या अपने पति की उस अर्जित प्रसिद्धि पर रश्क करते हुए कहा होगा जो उनसे शादी करने के बाद अनुपम खेर को मिली। हमने इसका खुलासा उनसे चाहा तो वे बोली ‘छीः छीः कहीं पति के तरक्की और शौहरत से भी कोई पत्नी रश्क कर सकती है वह तो उसकी इस प्रसिद्धि से मिली खुशी में आधे की भागीदार होती है। मैं तो कम से कम अनु की शौहरत को लेकर बड़ी खुश और भाव विभोर रहती हूँ । कभी कभी मुझे इतनी जल्दी सब कुछ हो जाने पर आश्चर्य भी होता है लेकिन बाद में सोचती हूँ ‘ही डिजर्ब इट’ जो उसे मिला उसके लिए सारा श्रेय उसे ही जाना चाहिए...’ किरण सिंह खेर ने कहा।

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लेकिन हिन्दू फिलोसोफी में किसी पति की सफलता पत्नी का अप्रत्यक्ष रूप से पत्नी को भी जाता है। क्योंकि वह तो गृहलक्ष्मी कहलाती है। आप जिस दिन से पति अनुपम खेर के जीवन में आई उनके पौबारह हो गये। यह क्या आपकी चरण धूली का चमत्कार नहीं?

‘ओफो ! आपने तो मुझे इतना छाड़ पर चढ़ा दिया जैसे की मैं साक्षात कोई परम शक्ति का रूप हूँ। बेशक अनुपम खेर की जिन्दगी में हमारी शादी के बाद भारी परिवर्तन आया है। लेकिन उसमें मेरा कोई विशेष योगदान है मैं नहीं देखती। आॅफकोर्स, भावनात्मक रूप से हमने एक दूसरे को बड़ी ही अच्छी तरह समझा है। एक दूसरे के मामले में हमने एक एक चीज को सोच समझ कर फैसले लिये है बस । और कदम सारे सही पड़ते गये’ किरण ठाकुर सिंह खेर ने विनयपूर्ण दृष्टिकोण अपनाते हुये कहा।

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हमने तो यहाँ तक सुना है कि अनुपम खेर आपसे राय लिये बगैर कोई भी निर्णय नहीं लेते। यहाँ तक की कौनसी फिल्म स्वीकारनी है। कौनसा रोल उन्हें करना चाहिए वे आप से राय लिए बगैर फैसला नहीं लेते?

वे हमारी यह बात सुनकर मुस्कराई थी..’ भई अगर ऐसा होता भी है तो इसमें बुराई क्या ? लेकिन वह अपने सारे फैसले लेने के लिए बिल्कुल स्वतन्त्र है। आॅफकोर्स उन्होंने कौन से रोल के लिए कैसे कपड़े पहने हैं उनकी हर फिल्म के लिए मैं ‘डेªस डिजाइनिंग’ जरूर करती हूँ यह भूमिका उन्होंने मुझे जरूर सौंप रखी है..’ किरण यानि श्रीमती अनुपम खेर ने कहा।

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लेकिन आप तो खुद एक खासी अभिनेत्री है ‘तितलियाँ’ और कई प्रारंभिक टी. वी. सीरियल्स में जनता ने आपको विभिन्न भूमिकाओं में देखा। अचानक शादी के बाद आपने अभिनय में रूचि लेना कम क्यों कर दिया?

‘अभिनय में मेरी सदा रूचि जरूर रही है। लेकिन तभी जब बड़ा ही ‘आउटस्टैडिंग’ रोल हो। नहीं तो मुझे घर में रहना ज्यादा पसंद है। ज्यादा से ज्यादा जाना भी हुआ तो बस ‘ब्यूटी पार्लर’ तक....लेकिन आजकल मैं दिल्ली की मशहूर रंगमंच निर्देशिका अमल अलाना के नये नाटक ‘स्टेªनजर’ में मुख्य भूमिका निभा रही हूँ मुझे अनुपम ने इसके लिए उत्साहित किया कि मुझे यह भूमिका करनी चाहिए। यह प्रयास करीब आठ साल घर में बैठने के बाद मैंने किया है...’ किरण खेर ने कहा।

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यानि आप ज्यादातर रोल जो आज निभा रही है। वह बस एक ‘ग्लेमरस हाउस वाइफ’ के ही है?

बस एक ग्लेमरस जिन्दगी आज नहीं हमेशा से निभाई है। सही मायनों में जिन्दगी इतनी छोटी होती है कि समाज में हर किसी की परवाह करने बैठ गए तो न इधर के रहते है न उधर के। सही मायनों में परवाह करनी चाहिए हमें परवाह उनकी करनी चाहिए जो हमारी परवाह करते है यह बहुत जरूरी है...’ किरण ने जब इतनी स्वछन्दता से यह बात कहीं हमसे उनके पूर्व विवाह और उनमें संबंध विच्छेदन पर पूछें बगैर नहीं रहा गया।

वे बोली ‘क्या फायदा गड़े हुए पत्थरों को उखाड़ने से। लोग कुछ भी समझते हो लेकिन मैं विवाह नाम के सामाजिक बन्धनों में दृढ़ विश्वास करने वाली औरत हूँ लेकिन कई बार परिस्थितियाँ इतनी बेकाबू हो जाती है कि हर चीज की बागडोर अपने हाथों में नहीं संभल पाती। यही मेरी पहली शादी के बाद पति पत्नी के संबंध में भी हुआ! मेरे पहले पति गौतम बैरी के संबंध जब दूसरी किसी औरत से थे तो मैं यह बात बर्दाश्त नहीं कर सकी। मैं जानती हूँ समाज में सैकड़ों औरतों को पतियों के ये अन्याय भी अपनी सन्तान की खातिर सहने पड़ते हैं।’ उन्होंने बात को बीच में ही छोड़ दिया था।

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और श्रीमान अनुपम खेर आपके जीवन के किस मोड़ पर शामिल हुये?

'अनुपम को तो मैं अपने थियेटर डेज से जानती थी। मगर एक दोस्त की तरह। कभी सोचा भी नहीं था कि वह कभी मेरा जीवन साथी बन जायेगा। उन अंधेरे और एकाकी दिनों में मैंने एक रोज महसूस किया कि यह आदमी तो विश्वास का पात्र है। उसने भी मेरी टूटी जिन्दगी को सँवारने में काफी मदद की और हमने झटपट एक रोज शादी कर ली। फिर तो एक सुखद कहानी हैं इधर उसकी ‘साराँश’ और ‘कर्मा’ चल पड़ी फिर उसको मुड़कर देखने का अवसर नहीं मिला...’ किरण सिंह खेर यह कहते कहते तो भाव विभारे हो चली थी। हमने उनको बधाई दी और उनसे बिदाई ली।

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